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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

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चाय पार्टी

चाय पार्टी

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लालच की दुनिया में चाय व पार्टी दोनों दिखावा हो गयी।

पहले जैसी चाय की खुशबू पार्टी की उमंगें कहां खो गयीं 


पहले की चाय काढ़ा होते हुए भी सेहत स्वाद भरी थी।

वह अदरक,लौंग,इलायची,तुलसी संग स्नेह पगी थी।


चाय बिन शक्कर फीकी पार्टी से मिठास गायब हो गयी।

न किसी के पास समय,न भाव-संवेदना चाय शाही हो गयी।


चाय पार्टी तो मात्र होती, मिलने-मिलाने का मधुर बहाना।

रिश्तों को प्यार से सहेजने सहलाने का अपूर्व खजाना।


हो सके तो घर के आँगन या चौपाल में 

कुल्हड़ चायपार्टी सजाना।

हमें भी बुला चाय-पार्टी देना, नजराना खुशनुमा सुहाना।


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