अटल बिहारी वाजपेयी जी
अटल बिहारी वाजपेयी जी
ग्वालियर की माटी बोले,अटल नाम,
भारत माता के तुम सच्चे अभिराम।
कृष्णा की ममता का वो प्यारा नूर,
कृष्ण बिहारी के दिल का नव स्फूर।
ओ नेता, ओ कवि, ओ वाणी के मीत,
आपके शब्दों में झलकते जीवन के गीत।
"आओ फिर से दिया जलाएं" की गूंज,
आपके शब्दों के सुर से सजे धराई पुंज।
गीत नया गाके , दिलों को सहलाता हूं,
हर यक्ष प्रश्न का उत्तर मैं सिखलाता हूं।
आपने ही बताया संघर्ष के वे छिपे राज,
हर राह में छिपे थे उजाले के वे साज।
पद्म विभूषण से आपने सम्मान पाया,
भारत रत्न ले देश का था मान बढ़ाया।
विरोधियों को साथ ले चलने की कला,
आपके विचारी दीप सदा जलता चला।
आपकी कविताओं में साहस की तपन ,
वे भारत के दिलों की बनीं हैं धड़कन।
आप थे, हो ,रहोगे, अचल अटल,अमर,
भारत का सितारा, ओ प्यारे ध्रुव तारा।
आपके शब्द बनें हर दिल की आवाज,
आपकी वाणी बनी भारत का साज।
अटल,आप अमर, अमिट गाथा गाएं,
अपनी राह दिखा के, ये ज्योति जलाएं
राजनीति के मंच पर थे कुशल वक्ता,
निडर साहसी कवि निहाल होते श्रोता
अपने-पराए का भेद न वे करने वाले,
भारत माता के सच्चे सपूत दिलवाले।
