2024 ने क्या सिखाया
2024 ने क्या सिखाया
साल बीता, कुछ सिखा के गया,
समस्या का हल यों दिखा गया।
माइन्ड और मैटर के बीच फंसी,
जीवन की गुत्थी में ही छिपे हंसी।
माइन्ड ने किया जब ये स्वीकार,
मैटर का रह गया न कोई भार।
जो बीत गया, उसे यूं जाने दिया,
पल-पल के जीने का गांठ सिया।
सिखाया ये, कि सभी कठिनाई,
बस सोच की होती एक परछाई।
मन न करे तो हो बेखबर, विरल,
पलक झपकते जीवन मधुर हल।
हर दिन हंसी, हर रात का सुकून,
2024 बन गया तृप्त पल जुनून।
आगे बढ़ लें, एक नई राह बनाएं,
सकारात्मकता से जीवन सजाएं।
