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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract Inspirational

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract Inspirational

एक वर्ष की कहानी

एक वर्ष की कहानी

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नए मोड़ पर है खड़ी कहानी,

हर पन्ने पर होती नई रवानी।

दुख-सुख की ये परतें बुनती,

जीवन की मृदु तस्वीरें चुनती।


जनवरी की देखें सर्द दुपहरी,

सपनों की बात हो न अधूरी।

फरवरी की धूप लगे सुहानी,

दिल में बसतीं मधुर कहानी।


मार्च में आई वसंत की बहार,

फूलों संग जुड़ते नए विचार।

अप्रैल ने दी ये हल्की बौछार,

स्मृतियों का लग गया अंबार।


मई की गर्मी ने दी तप्त चुनौती,

सपनों की राह में लेकर मनौती।

जून बादल संग लाई शीतलता,

मन को मिली नवल अखंडता।


जुलाई में बहते बारिश जलधार,

खुशियों ने ली उमंग की बौछार।

अगस्त, राखी पर्व उत्साह लाए,

मन के रिश्ते फिर से सज जाएं।


सितंबर की सुबह कुछ शांत सी,

नई उम्मीदों से भरी है क्लांत सी।

अक्टूबर में रंगीला गरबा त्योहार,

जिंदगी ने पाया एक नया उपहार।


नवंबर के संग ठंड ने दी दस्तक ,

आत्मस्मृतियां कुछ छायीं मस्तक।

दिसंबर की रातें कह गईं कहानी,

गुजरे पलों की मखमली रवानी।


यह साल बना मानो दर्पण सा,

खुशी और गम का संगम सा।

हर क्षण ने एक सबक ये दिया,

जीवन संवारने का मार्ग नया।



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