तेरा नाम
तेरा नाम
जो चाहिए तुमसे सब कहना आसाँ नहीं,
के दिल को भी हैं खबर चाहतो, की नहीं।
सोचता हूँ के तुम्हे पता कब कैसे चलेगा ?
के मुझे कोई तुमसा और चलेगा, भी नहीं।
तुम बिन भी तुम्ही तो हो मेरी ज़िन्दगी में,
क्यूँ हैं ऐसा ? ये दिल जानता, भी नहीं।
तुम समझो यही मुमकिन होगा शायद,
के दिल की बात जुबाँ कहती, भी नहीं।
तेरे घरसे मेरे रास्ते तो अब भी नहीं जाते
फिर भी,
तेरी गली से गुज़रना थमा, तो नहीं।
फिर भी,
फिर भी लिखना ही हैं जो चाहिए, तो दिल,
"तेरा नाम" सरेआम करता, भी नहीं।