बचपन के दिन
बचपन के दिन
वह बचपन के दिन किस्से कहानियों वाले दिन,
वह चटपटी चूर्ण ,खट्टी मीठी गोलियों वाले दिन,
दिनभर खेलना फिर भी ना थकने वाले दिन,
बरसात नहाना, फिसलने और गिरने वाले दिन,
याद आते मुझे मेरे बचपन के दिन ।
स्कूल की छुट्टियों के बाद का वो शोर-शराबा,
मां से हर बात की जिद करवाना ,
स्कूल के क्राफ्ट का सामान आधी रात को पिता से मंगवाना ,
याद मुझे मेरे बचपनके दिन
तब सोने के लिए भी डांट पड़ती थी,
ना खाने की भी ज़िद होती थी ,
तब मां का वह दुलारना सभी का नाम ले लेकर पूरा खाना खिलाना।
याद आता है मुझे मेरे बचपन के दिन ।
पूरी गर्मियों सुबह से ही पेड़ के नीचे गिरे आम उठाना,
दोस्तों के साथ दौड़ पकड़ खेलना,
मां की कहानियां मैं डर डर कर उत्सुकता जगाना,।
हाय मेरे वह बचपन के दिन मस्त चिंता मुक्त वह मेरे प्यारे दिन।
