भाग
भाग
उठने के लिए कई बार गिरना पड़ा,
उठ कर कई बार फिसलना पड़ा,
एक बार नहीं कई बार गिरना पड़ा, उठ उठ कर कई बार गिरते गिरते संभालना पड़ा,
अब जो उठी हू कोई क़िरदार न मुझे अब गिरा पाएगा.
सौ बार भी चाहें तो न वो मुझे झुका पाएगा,
अब हूं उड़ने को तैयार,
जीत जाऊंगी मुझे है पता,
हारने से अब मुझे नहीं है डरना,
तो उठ चल भाग जो है तेरी रफ्तार तो भाग भाग भाग.................।
रुकना मत ठहरना मत, मुड़ना मत वरना रह जाएगा तू पीछे,
हार बहुत है देखी मैंने,
अब न कभी मैं हारूंगा,
महाभारत का अर्जुन हूं मैं कृष्ण तुम्हें भी आना होगा,
बन सारथी मेरा तुमको राह मुझे दिखाना होगा,
मुझे भागना है तेज़ बहुत,
रफ्तार पकड़ना होगा,
मंज़िल है दूर बहुत,
तो भाग, भाग, भाग................।।
तूफानों सा भाग, सागर सी लहरों सा भाग,
तेज़ हो तेरी ये रफ्तार तो कौन भला तुझे रोक पाएगा,
भला तुझे कौन छू पाएगा।।
आसमान का चांद है तू धरती को छोड़ उड़ना होगा
धरती मां का रक्षक है तू दुश्मन से टकराना होगा।।।