तड़प
तड़प
टुटा सा अहसास हुआ ,
कुछ टूटा टूटा सा लगता है।
न जाने कितने ही रिश्ते रूठा रूठां सा लगता है।।
इन्ही कोशिशों में हर बार मै कूछ हार हारा सा रहता हूँ,
फिर भी सभी कहते हैं अपनों में जितने भी दिल टूटे इनका मै ही कातिल हुं ।।
अब दूर जाना चाहता हुं सभी से .........,
ये खाली दिल और खाली रास्तों से ऊब जाना चाहता हूं ।।
हर बार तुमसे गुजारिश जो मैने की ........,
तुमको अपना बनाना चाहा ।
तुम दूर जाते रहे मुझसे, मै बस तुमको निहरता रहा।।
हुई है गलतियाँ मुझसे ये मै भी जानता हुं. .....,
बड़ी असमंजस की स्थिति है तुम सामने हो मेरे और मै तुमको पहचानता हु ।।
तुम कितना भी नजर चुराओं मुझसे ........,
पर मै आज भी तुम पे दिल हारता हुं तुम पे दिल हारता हुं ।।
एक और कोशिश की जाए दुबारा एक होने की
तुम पहले नजरें तो मिलाओं ।
देखो अब ऐसा ना करना की हम तड़प जाए .....।
की जब तक तुम कोशिश करो और हम मर जाएं ।।

