मृत्यु का भार सहोगे अब कैसे फसलों को भी सिंचोगे। मृत्यु का भार सहोगे अब कैसे फसलों को भी सिंचोगे।
जहाँ हम बसायें धवल चाँदनी में सपन क्यों हमें ये सजाना न आया। जहाँ हम बसायें धवल चाँदनी में सपन क्यों हमें ये सजाना न आया।
क्यूँकि हर वक़त, हर जगह वो साथ मेरे चलता है। क्यूँकि हर वक़त, हर जगह वो साथ मेरे चलता है।
ये यूँ ही इतफ़ाक़ नहीं हो सकता कुछ तो पुराना हिसाब बाकी है तुझसे ज़िंदगी। ये यूँ ही इतफ़ाक़ नहीं हो सकता कुछ तो पुराना हिसाब बाकी है तुझसे ज़िंदगी।
आँसुओं को कैसे रोकूँ जब दिल का ज़ख़्म रिसता है। आँसुओं को कैसे रोकूँ जब दिल का ज़ख़्म रिसता है।
ना जाने फिर कभी वो उस उड़ती पतंग क़ी तरह हवा में लहर पायेगी या नहीं। ना जाने फिर कभी वो उस उड़ती पतंग क़ी तरह हवा में लहर पायेगी या नहीं।