एक योद्धा तो बस धरती माँ का
एक योद्धा तो बस धरती माँ का
कुछ हक़ तो उसका भी था जिसने माँ बन कर पाल पोस के बड़ा किया,
कदम कदम पर सहारा दे के चलना सिखाया,
पर एक जवान का तो जन्म हुआ ही अपनी सर ज़मीं के लिए फ़ना हो जाने के लिए,
इसलिए उस पर सबसे पहला हक़ इस धरती माँ का है..
कुछ हक़ तो उसका भी था जिसने दोस्त बनकर पल पल साथ दिया व संभाला,
कभी मस्ती करके तो कभी आंसू पोंछ कर जीवन बदल दिया,
पर एक योद्धा का तो जन्म हुआ ही अपनी धरती की रक्षा के लिए मर मिट जाने के लिए ,
इसलिए उस पर सबसे पहला हक़ इस धरती माँ का है..
कुछ हक़ तो उसका भी था जिसने हमदम हमसफर बन सात जन्मो के लिए साथ निभाने का वचन दिया,
खु
शियाँ दोगुनी व गम आधे करके जीवन को आबाद कर दिया,
पर एक शूरवीर का तो जन्म हुआ ही अपनी जननी की आबरू बरकरार रखने हेतु कुछ भी कर गुज़र जाने के लिए,
इसलिए उस पर सबसे पहला हक़ इस धरती माँ का है..
कुछ हक़ तो उस पुत्र का भी था जिसने कदम कदम पर आँख मूँद कर अपने जन्मदाता का अनुसरण किया,
कभी ना पूछा कि रास्ता सही था या गलत, बस पीछे पीछे चलता रहा,
कभी अपना प्रेरणास्त्रोत तो कभी नायक बना कर सदा मार्गदर्शन के लिए लाचार नज़रों से देखता रहा,
पर एक जांबाज़ का तो जन्म ही हुआ जान की बाज़ी लगाने के लिए,
इसलिए उस पर सबसे पहला और आखिरी हक़ सिर्फ और सिर्फ इस धरती माँ का है..