एक नगरी हो अयोध्या सी
एक नगरी हो अयोध्या सी
अयोध्या सी एक सुन्दर नगरी हो जिसका दशरथ सा पराक्रमी व शूरवीर राजा हो,
नगरी जो छल कपट से परे हो जिसका राजा महान होते हुए भी
जन जन की सेवा के लिए प्रतिपल तत्पर हो.
कौशल्या सी ममतामयी और वात्सल्य-रस से परिपूर्ण माता हो,
आदर्शोँ, संस्कारों और धर्म- कर्म का जहां बजता डंका हो,
कैकई और मंथरा सी दुष्ट प्रवृति वाली स्त्रियों का अभाव हो,
ऐसा सुन्दर व सकल अयोध्या सा धाम हो.
जहां कण कण में बसते मर्यादा पुरुषोत्तम राम संग सीता और
हनुमान हों और रावण मेघनाद जैसे असुरों का अकाल हो ,
जन -जन का जीवन सादगी, उच्च विचारधारा और उत्कृष्टता की
अद्वितीय एक मिसाल हो,
बड़ों के प्रति आदर- सम्मान और छोटों के प्रति स्नेह भावना व सदभाव हो.
लक्ष्मण जैसा अनुज हो जो प्रतिपल अपने भ्राता की सुरक्षा हेतु प्राण न्योछावर करने को तत्पर हो,
जटायु सा परम भक्त हो जो अपने देव की भार्या की रक्षा करते करते शौर्यपूर्वक वीरगति को प्राप्त हो.
भरत सा निष्ठावान भ्राता हो, रुक्मणी सी त्यागशील पत्नी,
एक ने भाई के प्रति समर्पित हो त्यागा राजपाट तो दूजी ने
पति की प्रतिज्ञा पूर्ण करने हेतु छोड़ दिया घर - गृहस्थी का मोह.
राग-द्वेष, बैर, कलह -क्लेश, इर्षा, झूठ, बेईमानी, चोरी-चकारी,
गुंडागर्दी व अराजकता रुपी रावण के नौ मुखों का विधवन्स हो,
ऐसा सुन्दर एक रामराज्य हो, ऐसा अयोध्या सा प्यारा एक धाम हो.