नज़रिये का फर्क
नज़रिये का फर्क
कभी शिकवे शिकायतों से पृथक हो कर तो देखो,
तुम्हें एक सुन्दर संसार नज़र आएगा.
कभी उम्मीदों का दामन थाम कर तो देखो,
तुम्हें आशाओं का असीमित भण्डार नज़र आएगा.
कभी रौशनी की सराहना करके तो देखो,
तुम्हें आव्हान करता जगमग विश्व नज़र आएगा .
कभी साथ की अहमियत समझ कर तो देखो,
हर रिश्ता स्वतः ही सुन्दर व सुदृढ़ बन जाएगा.
कभी अधूरे वादे करके तो देखो,
उम्मीदों का कारवां और जवाँ नज़र आएगा.
कभी खुद से प्यार करके तो देखो,
पूरी दुनिया और प्रत्येक व्यक्ति खूबसूरत नज़र आएगा.