दिल कहता है
दिल कहता है


दिल कहता है ये मेरा कि,
ऐ देश की महकती माटी,
तुझे नवीन कायाकल्प,
और अनुपम आकार दूँ।
दिल.....
बनाऊँ,तुझे सारे जहाँ से
और दिलनशीं खूबसूरत,
बिखेरे,जो जग में हँसी,
मुस्कान और शुभ मुहूरत,
समाए जिस सुधाघट में,
एक होके धार्मिक भेदभाव,
सुदूर उस फलक तक,
दिखे न कोई अलगाव,
संकीर्ण न रहे ये जात-पात,
प्रेम भरे हों सबके जज्बात,
असीम नभ के पार तक
हर दिलों के दर्पणों में वो,
हँसी मानवता का विस्तार दूँ।
दिल ....
कहीं भी सुदूर क्षितिज तक,
दिखे न कोई मनहूस घड़ियाँ,
भावनाओं के प्रेमसिंधु में ऐसे
गुँदूँ हीरे-मोतियों की लड़ियाँ,
चिर बहारें भी झूम-झूम कर,
पूरे ब्रह्मांड में घूम- घूम कर,
दिया करे सारे जहाँ को संदेश,
बनो तो पूज्य माँ भारती जैसा,
जहाँ है न कोई दुःख-क्लेश,
वसुधैव-कुटुम्बकम ही है,
जहाँ की संस्कृति-रिवाज,
आसमाँ को छेदने के लिए,
रहस्यों को भेदने के लिए,
जहाँ मचले हर रणबाँकुरों के,
असीम हौंसलों के परवाज,
हर सपने-अरमानों को,
सच में बदलने के लिए,
संबल वात,नवसृजन का,
वो विशालकाय संसार दूँ।
दिल ......
हरअदना गाँव-गाँव ही नहीं,
हर छोटे मोहल्ले गली-गली,
शहर में बड़े नगर ही नहीं,
महके विकास से कली-कली,
जय से गूँजे जवान-विज्ञान भी,
लहराए सारे खेत-खलिहान भी,
हर्षों से झूमे मजदूर किसान भी,
व बेबसों, बेघरों, भूखे-प्यासों को,
मिले अन्न-पानी घर परिधान भी,
बेकार हाथों में हो जरूर काम,
सारा जहाँ,जिसको करे सलाम,
चाँद-सितारों की ये हँसी टोली,
खेलें धरा पे बनकर हमजोली,
मिटे ये अमीरी-गरीबी की खाई,
दिखे न कहीं भी तम की परछाई
हर तरफ हो उजाला ही उजाला,
हर मन में भड़के तिरंगा ज्वाला,
सब सबका करे मान-सम्मान,
देश पे सब करे सर्वस्व कुर्बान,
हर ओर बजे ढेरों ही शहनाई,
चले सदा खुशियों की पुरवाई,
लहूओं से अपने नित सींच कर,
रखूँ तुझे वसुंधरा हरित सदा,
जन्म-जन्मांतरों तक तेरे ही
अमरवीर जवान संतान बनूँ,
जिंदगी अपने सारे माँ भारती
तेरे आँचल में ही मैं गुजार दूँ।
दिल.........