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Jyoti Bhashkar Jyotirgamay

Inspirational

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Jyoti Bhashkar Jyotirgamay

Inspirational

"स्वतंत्रता"

"स्वतंत्रता"

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दीवाने कहाँ रूकते हैं

चाहे हो हजार बंदिशें

परवाने कहाँ झुकते हैं


चाहे हो बेशुमार साजिशें

चलते ही रहते हैं सदा

अपने हसीन राह पे

जान भी लुटा देते हैं


निज दिलनशीं चाह पे

ये सरहदें बाड़ दीवार

भले कोशिशें करे हजार

रोक नहीं पाते ये कभी


परिदों के असीम उड़ान

दरियों की रवानगी तान

उनमुक्त झोंके पवन के

चाँद सूरज तारे गगन के


बनी बनायी गई हैं सब

रस्मों रिवाज की ये बेड़ियांँ

अनसुनी दर्दों की खामोशियाँ

कुंठित विचारों की जंजीरें


लिखती मनहूस ये तकदीरें

प्रथाओं के भयावह ये साये

जिनमें लाखों ने प्राण गँवाए

तबाही भरी सब ये पाबंदियाँ


फैलाती रोज कई विसंगतियाँ

सब है ईंसानो के खातिर बने

चाहिए इन्हें मिटाने के वास्ते

दृढ़-प्रण की लहराती लहरें


मन में स्वतंत्रता की चाह सहरें

जो फैले तिमिरों का नाश करे

इंसानों की जिंदगी को प्रकाश करे !


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