STORYMIRROR

Dr.Pratik Prabhakar

Inspirational

4  

Dr.Pratik Prabhakar

Inspirational

कल्पना के पंख

कल्पना के पंख

1 min
217

साथियों बारी आई अब अपनी

कल्पना को पंख दो

जो अवनति चाहते सदा तुम्हारी

मचा उनमें हड़कंप दो।।


जगाओ सफलता की भूख ख़ुद में

होंठों पर विजय- शंख हो।।

जगा ही डालो सोये खुद को अब

गरजो मानों कि भूकंप हो।।


कब तक धूल-धूसरित,लाचार रहो

करो कुछ सब दंग हों।।

जब परिणाम पटल पर आये, मित्र

सुनाई बस जीत-मृदङ्ग हो।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational