चाँद लौटा दो
चाँद लौटा दो
मेरा चाँद लौटा दो,
पता नहीं कहाँ गया?
कोई जाओ आसमान में
उसे ढूंढ कर ला दो
पहले था पूरा
फिर हुआ अधूरा
अमावस गयी लील उसे
या चांदनी खा गई
मैं अब तन्हा कोई साथ दिला दो
मेरा चाँद लौटा दो।
कई रात जग कर बात की हमने ,
वक़्त मानो लगती थी थमने ,
अब ये रात कटती नहीं काटते
कोई मेरे बिरह की दवा दो
मेरा चाँद लौटा दो ।