यादों के पैसे
यादों के पैसे
कभी स्याह कोने में मन के
चौधेंगी बिजलियाँ जैसे
जुबाँ पर होंगे बस आप
सिवा आपके कोई हो कैसे ?
मेघ है दिल के आसमाँ में
कोई आप ही सा न जहाँ में
है आगर जेहन में आपके हम
या कोई और बसा वैसे ?
हो अगर चाहत बेशुमार
जिगर से आपकी चाहतें पार
गुल्लक मन का खाली हो
देने को तैयार यादों के पैसे।।
नजरें झुके तो सब ओझल
आपके बिना सब बोझल
जानता मुश्किल पाना तुम्हें
पर उपाय बताओ कि कैसे ?