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Dr.Pratik Prabhakar

Others

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बुद्धम शरणम

बुद्धम शरणम

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कब तक बैठे रहे यूँ ही

सच देख , बनते मूढ़,

खुद का ज्ञान पहचान वो

बने नरों में सबसे शुद्ध।।


मरीचिका सी दुनिया,

माया सी ठग लेती है

जो पैठे गहरे सागर में

वो ही जाने सब गूढ़।।


सच का सामना करें,

मन का विश्वास भारी हो

जो ये सब बता सीखा गए

वो ज्ञान चक्षु वाले थे बुद्ध ।।



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