बन सखी उतर जाया करती हो मेरे विचारों के धरातल पर बन सखी उतर जाया करती हो मेरे विचारों के धरातल पर
हे मानस के राजहंस तू चल उस देश जहाँ। हे मानस के राजहंस तू चल उस देश जहाँ।
कितना चाहा मुट्ठी में कसना पर सम्भव नहीं हो पाया रोक लेना लम्हों को भर लेना अंजुरी में..... कितना चाहा मुट्ठी में कसना पर सम्भव नहीं हो पाया रोक लेना लम्हों को ...
गम में आँसू का गागर हैं आँखें... गम में आँसू का गागर हैं आँखें...
झरना का लक्ष्य है सागर में मिलना, ऊँची-नीची राहों से इसको क्या करना ! झरना का लक्ष्य है सागर में मिलना, ऊँची-नीची राहों से इसको क्या करना !
साथ चलना ही ज़िन्दगी है, बस हथेलियों को भिड़ने तो दो। साथ चलना ही ज़िन्दगी है, बस हथेलियों को भिड़ने तो दो।