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Vinita Rahurikar

Inspirational

3  

Vinita Rahurikar

Inspirational

समय की रेत.....

समय की रेत.....

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झरती जाती है

जिंदगी के सागर से

हर पल समय की रेत

और कम होते जाते हैं

उम्र के कतरे...


कितना चाहा

मुट्ठी में कसना

पर सम्भव नहीं हो पाया

रोक लेना लम्हों को

भर लेना अंजुरी में...


न जाने कौन सी

अदृश्य झिरियाँ हैं

जीवन की हथेली में

कि एक पल भी

रोक नहीं सकी

झरने से समय को...


और लम्हा-लम्हा

बेबस सी मैं देखती रही

समय को झरते हुए

उम्र को गुजरते हुए

और जीवन की शाम को

ढलते हुए...





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