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Vinita Rahurikar

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Vinita Rahurikar

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आईना

आईना

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337


बरसों से देख रही हूँ

आईने को मैं

और आईना मुझे

इतने बरसों में

आईने ने कभी नहीं कहा

आज तक भी की

तुम्हारे चेहरे की रेखाओं में

उम्र की ढलान दिखने लगी है


आईना तो रोज़ ही

मुझसे यही कहता है

तुम आज भी वैसी ही हो

जैसी कल थी

अपनी उम्र की 

ढलती रेखाएँ तो

मैंने देखी 

तुम्हारी आँखों में


अचानक बढ़ी

तुम्हारी व्यस्तता में

घर में पसरते जा रहे मौन,

चाय के एकाकी कपों,

और रात भर

मेरी तरफ रहने वाली

तुम्हारी पीठ में....



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