बेटा...
बेटा...
दिल्ली जयपुर, घूमते हुए
गूगल पर नक्शे में रास्ते देख लेना,
टेक्सी बुक कर देना
और संभाल लेना
अपनी छोटी बहन को
जिम्मेदार होकर, थामे रखना
हाथ उसका चाहे मैं भूल जाऊँ
आश्वस्त होता हूँ कि
मेरे बाद भी बना रहेगा
मायका मेरी बेटी का.....
नींद पूरी हो जाये माँ की
इसलिए,
रसोई का दरवाजा बंद कर
बना देना कुछ
छोटी बहन को खाने के लिए
तसल्ली होती है देखकर
बेवजह का अहम नहीं है तुममें
की ये काम मेरा नहीं है....
देखता हूँ तुममें
अपना गुजरा कल और
अपने संस्कारों के बीज
आश्वस्त करते हैं
तुम्हारे भविष्य के प्रति
की स्वस्थ समाज के निर्माण में
एक बीज भर योगदान
मेरा भी रहा, तुम्हारा भी होगा....
रोज़ ही कितनी
मीठी सी बातें होती हैं ऐसी
बेटियाँ घर की रौनक हैं
तो तुम भी एक विश्वास हो
सुरक्षा का, साथ का, सहारे का
मेरे बेटे
तुम भी मुझे
बेटी जितने ही प्यारे हो.....