चल रही हूँ मैं
चल रही हूँ मैं
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चल रही हूँ मैं
बड़े सधे कदमों से
एक लय में
थकी हूँ फिर भी
रोक नहीं सकती
कदम अपने
न सुस्ता सकती हूँ
किसी पेड़ की
ठंडी छाँव में
क्षण भर भी
रिश्तों की जो पोटली
रखी हुई है सर पर
उसे यूँ ही सतत
चलते हुए ही
निभाते रहना है