झरना
झरना
झरना का लक्ष्य है सागर में मिलना ,
ऊँची-नीची राहों से इसको क्या करना !
चाहे उसे आये लाखों मुसीबत,
फिर भी कभी इसने हिम्मत न हारी !
गिरते संभलते चला राह अपनी,
प्यासे को अमृत से प्यास बुझायी !
दिया है ये गति में संगीत अपना,
ऊँची-नीची राहों से इसको क्या करना !
झरना का ......!
गिरता है झरना ऊँचे शिखर से,
रोता नहीं .......तड़पता नहीं है !
होती नहीं उसकी धूमिल दशा,
थपेड़ों से वो घबड़ाता नहीं है !
सीखा उसी ने गिरकर संभलना,
ऊँची-नीची राहों से इसको क्या करना !
झरना का लक्ष्य है सागर में मिलना,
ऊँची-नीची राहों से इसको क्या करना !!
