ये किस मोड़ पे आ गयी ज़िन्दगी
ये किस मोड़ पे आ गयी ज़िन्दगी
ये किस मोड़ पे आ गयी है ज़िन्दगी
ना ख़ुशी का अहसास
ना दर्द का भान कोई
ना आँसूओ का साथ
ना हँसी लबों पर कोई
ना किसी से शिक़ायत
ना उम्मीद किसी से कोई
ना जोश -ए -जुनूँ
ना बेज़ारी ही कोई
ना ख़्वाहिशों का सैलाब
ना कमी का ख़्याल कोई
ना पाने की फ़िक्र
ना खोने का डर कोई
ना आशाओं की उड़ान
ना निराशा की बात कोई
ना दीवानावार दोस्ती
ना दुश्मनी किसी से कोई
ना मोहब्बत का उफ़ान
gn-justify">ना नफ़रतों का सैलाब कोई
ना क़रार ही दिल में
ना बेक़रारी ही कोई
ना परवाह किसी की
ना बेपरवाही ही कोई
ना दिल में कोई जलन
ना मोह किसी का कोई
ना रोष कोई जिगर में
ना सूक़ून ही वहाँ कोई
ना तबियत में कोई ग़ुरूर
ना मन में कामना ही कोई
ना होश का आलम
ना मदहोशी ही कोई
ए ख़ुदा मेरे बता दे की
क्या जड़ हो गई हूँ मैं
या की फिर रूह ने मेरी
पा लिया है तेरे जहाँ का नूर