“रंग दो प्यार के”
“रंग दो प्यार के”

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बसंत लाया बहार
तुम लायी हो रंग
होली रंग दो सबको
एक रंग में प्यार के
बिसरा दो कड़वे लम्हे
बस मीठी यादें दो तुम
मैं-तुम, तुम-मैं भूलें
बस याद रहे इक हम
रंग दो ऐसे रंगों में
मिलकर हो जाएँ एक रंग
ना पहचाने कौन सा रंग था
ना अलग उसे कर पाएँ
ख़ुशियों की बौछारें मारो
भिगो दो सबके तन-मन
रंग लायी हो तो रंग दो
सबको एक रंग में प्यार के