कुछ झोंके ख़ुशी के इस तरफ़ आने तो दो
कुछ झोंके ख़ुशी के इस तरफ़ आने तो दो
“कुछ झोंके ख़ुशी के इस तरफ़ आने तो दो”
कुछ झोंके ख़ुशी के इस तरफ़ आने तो दो
कुछ मीठी यादों को दिल में घर बनाने तो दो
माना की ज़िंदगी में ग़मों की कोई कमी नहीं
हँसी थोड़ी सी इन लबों पे मगर आने तो दो
कुछ झोंके ख़ुशी के इस तरफ़ आने तो दो
कब तलक बैठा रहे कोई यूँ अँधेरों में डूब कर
चिराग़ उम्मीद का घर में उसके जलाने तो दो
वक़्त से जाने किसको कितनी मोहलत है मिली
अपनी कहो कुछ उन्हें भी दिल की सुनाने तो दो
कुछ झोंके ख़ुशी के इस तरफ़ आने तो दो
माना की इस जहाँ में कोई किसी का नही मगर
रिवायत अपनेपन की यहाँ थोड़ी चलाने तो दो
है क्या मज़ा यूँ
दूर सबसे तनहा रह के जीने में
ख़ुद मिलो और किसी को घर अपने आने तो दो
कुछ झोंके ख़ुशी के इस तरफ़ आने तो दो
ये सच है हर तरफ़ ज़माने में नफ़रतों का ज़ोर है
दिल से दिल तक मोहब्बत की राहें बनाने तो दो
जाने दर्द कितने सीने में लिए यहाँ फिरते है लोग
हमदर्द बन दिलों को उनके थोड़ा सहलाने तो दो
कुछ झोंके ख़ुशी के इस तरफ़ आने तो दो
कट ही जाएगा हो चाहे मुश्किल सफ़र-ए-हयात
तुम दुआओं को अपना असर थोड़ा दिखाने तो दो
कल चुरा ले जो आँखें हमसे ये उजाला सुबह का
रोशनी उसकी इसके पहले रूह में उतर आने तो दो
रोशनी उसकी इसके पहले रूह में उतर आने तो दो
कुछ झोंके ख़ुशी के इस तरफ़ आने तो दो।