Anita Purohit

Abstract

4.9  

Anita Purohit

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मेरी कहानी

मेरी कहानी

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कोई तो शायद लिख रहा होगा 

मेरी तो अपनी कोई कहानी नहीं 


एक हक़ीक़त बन उतरी हूँ यहाँ मैं

मेरा अपना तो कोई अफ़साना नही


की मेरे होने ही से जागता है वक़्त 

समेटे अपने में दुनिया के तमाम रंग


देखती हूँ जिन्हें आस-पास अपने मैं

करती हूँ महसूस मन की गहराइयों में 


फिर भी लिखती नही कहानी अपनी मैं

बुनता रहता है जिसे यह गुज़रता वक़्त 


और अपनी अनोखी अदृश्य कलम से 

मेरी कहानी लिखता रहता है कोई और।


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