हम कहाँ हैं
हम कहाँ हैं
एक झंडा,कई झंडे
एक देश खंड कितने
फिर रिश्ता तेरा मेरा
बस मैं और तू का
मिलकर बने जो एक
वो हम कहाँ हैं ?
पूजा तेरी ,अरदास मेरी
सज़दा तेरा प्रार्थना मेरी
एक है उसने जो सबकी
वो भक्ति कहाँ है ?
कुछ खोकर कुछ पाकर
सदियों के फ़ासले तय कर
जन्मों की रहगुज़र पर
पहचान एक जो पाई
वो मानवता कहाँ है ?
खोजो उसे कहीं गुम है वो
ढूँढो उसे यहीं कहीं है वो
मिलकर एक बनाए जो
हमारा वो ‘हम’ कहाँ है ?