STORYMIRROR

बात कर

बात कर

1 min
366


शमा के परवानों की बात कर

तारीख़ उठाऊं तो बात कर

अभी फ़िकरे दुनिया में सोया हुआ हूं

जगाना हो मुझको तो बात कर।


ज़ुबां की रवानी बहुत हो चुकी

शमशीरे हैदर की बात कर


सबा के दिवाने मिले थे कई

कहां सांस ली वो बात कर।


ज़ख़्म खाने की आदत तो छोड़ो यहां

ज़ख़्म किसने क़ुरेदे ये बात कर


बहुत हो चुका तू मेरा या नहीं

तू किसी का हुआ क़्या, ये बात कर।


बहुत बह चुका खून ज़मीन के लिये

हो इरादा फ़लक का तो बात कर


कुछ जावेदा लाशें यहीं पे दफ़न है

खौलाना हो ख़ून तो बात कर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract