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Sumit. Malhotra

Abstract

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Sumit. Malhotra

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पहला गुलाब।

पहला गुलाब।

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बेपनाह इश्क का पहला गुलाब, 

हसीन कोई ले रही नहीं जनाब। 


साथ-साथ रहना है ज़िंदगी भर, 

देती ना कोई भी इसका जवाब।


पहले प्यार करने जा रहे नवाब, 

ज़िंदगी में बेतहाशा व बेहिसाब। 


चाहते सच्ची मुहब्बत है जनाब, 

सिर्फ़-सिर्फ़ हमें करते बेहिसाब। 


माता-पिता भी अमीर या गरीब, 

दिल से ख़ूब अमीर चाहे जनाब। 


वो हमेशा दिल की बेगम जनाब, 

जिनके सिर्फ़ होगें हम ही नवाब।


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