STORYMIRROR

Sumit. Malhotra

Abstract

4  

Sumit. Malhotra

Abstract

पहला गुलाब।

पहला गुलाब।

1 min
374

बेपनाह इश्क का पहला गुलाब, 

हसीन कोई ले रही नहीं जनाब। 


साथ-साथ रहना है ज़िंदगी भर, 

देती ना कोई भी इसका जवाब।


पहले प्यार करने जा रहे नवाब, 

ज़िंदगी में बेतहाशा व बेहिसाब। 


चाहते सच्ची मुहब्बत है जनाब, 

सिर्फ़-सिर्फ़ हमें करते बेहिसाब। 


माता-पिता भी अमीर या गरीब, 

दिल से ख़ूब अमीर चाहे जनाब। 


वो हमेशा दिल की बेगम जनाब, 

जिनके सिर्फ़ होगें हम ही नवाब।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract