भाव बहने दे
भाव बहने दे
खुद पर किताब लिखने दे
गलत-सही किया है
आज तक जो,
उसका हिसाब लिखने दे।
बन्द आंखों से
आज भीतर तक
खुद का मिजाज
पढ़ने दे।
भीतरी कालिमा
के बीच पड़ी
चमकती मणि समान
रूह है जो,
उसके सच्चे से भाव
पढ़ने दे।
मेरे भीतर के
भाव बहने दे,
मुझको खुद से ही
बात करने दे।