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Jyoti Astunkar

Abstract

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Jyoti Astunkar

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परछाई

परछाई

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तुम परछाई हो,

चलती रहती हो साथ मेरे,

छोड़ना चाहूं भी तो,

अलग ना हो सके पांव मेरे,


तुम परछाई हो,

साथ चलती हो,

बस उजाले में,

रात जाने कहां गायब हो जाती हो,


तुम परछाई हो,

कुछ अजीब सी हो,

आवाज नही एहसास नहीं,

साथ मगर हर रोज़ होती हो,


तुम परछाई हो,

कुछ कहो ना कहो,

कुछ सुनो ना सुनो,

राज़दार हर रोशनी भरे पल की तुम ही हो,


तुम परछाई हो,

सारा दिन साथ चलती हो मेरे,

नज़र नहीं आती अंधेरे में,

थककर सो जाती हो शायद,

तुम भी सिरहाने में मेरे,


तुम परछाई हो,

बस तुम ही होती हो साथ मेरे।


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