बढ़ता चल
बढ़ता चल
ज़िंदगी में आगे बढ़ता चल,
घड़ी की सुइयां न है रुकने वाली
भूतकाल की परछाइयां कभी,
पीछा न तेरा छोड़ने वाली
गुज़रा वक्त एक हिस्सा है ज़िंदगी का
पूरी ज़िंदगी नहीं तुम्हारी
समेटकर रखो उन हिस्सों को तिजोरी में
वर्तमान में जीयो ज़िंदगी सारी
अच्छे बुरे जैसे भी हों गुज़रे पल
गुज़र चुके है कभी न वापस आने के लिए
खुशी से याद करो एहसासों को
दिल को सुकून दिलाने के लिए
खुश रहो ये सोचकर
की पल वो तुम्हें नसीब हुए
आखिर वो भी तो एक वक्त था
टिक टिक करता निकल जाने के लिए।
