ऊपरवाले की कारीगरी
ऊपरवाले की कारीगरी
खुले आसमान के नीचे रहने वाले
हवा के बुलबुले के दम पर जीनेवाले
कहलाते सभी एक इंसान हैं
जिनकी फितरत ही कुछ कमाल है
भाव और मानसिकता सभी में जन्मजात है
व्यक्त करने का तरीका फिर क्यों सबका ख़ास है
मुश्किलें तो आती जाती हैं सबके पास
कोई रो लेता है अकेले में
तो किसी के पास कांधा एक खास है।
जो रोकर चुप हो जाए
वही जन्मजात सख़्त और मजबूत है
कोई क्या जाने अब उसके पास
पर्याय ही नहीं दूसरा कोई हाथ है
बनानेवाले ने काम भी किया क्या कमाल है
किसी को सख्त तो किसी को कोमल
पर बात तो सत्य है यही की
जब साथ नही कोई तो क्या सख्त और क्या कोमल।