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Jyoti Astunkar

Abstract Others

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Jyoti Astunkar

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दिल की अलमारी

दिल की अलमारी

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बड़ी जगह है दिल की अलमारी में,

ढेर सारे खाने और हैंगर एक बाजू में।


अच्छे बुरे एहसास यादों के साथ,

संजोए रखें है हर खाने में कुछ ख़ास।


बचपन से बुढ़ापे तक,

शुरू से लेकर आख़िरी तक।


ज़िंदगी के हर पड़ाव पर,

राहों में आने वाले हर तनाव पर।


अलमारी का रोज़ का खुलना और बंद होना,

एहसासों का रोज़ उसमें जमा हो जाना।


कभी कभी तो वक्त मिलता है,

अलमारी को चैन से समेटने का।


हर खाने के समान को,

सही जगह संजो के रखने का।


कुछ ख़ास पल हैं जो अंदर लॉकर में रखें हैं,

और कुछ रोज़ाना के एहसास सामने के खाने में।


आते जाते महसूस होने वाले पल,

लटकते रहते है हैंगर पर हर पल।


छोटी छोटी खुशियों की फुलझड़ियाँ ,

रखनी है ड्रॉअर के अंदर।


गुमसुम हो जब परेशान हो,

एक रोशनी भरी फुलझड़ी का साथ हो।


हंसी का ड्रॉअर खुलते ही,

दिल हल्का होकर उड़ने लगे।


गमों का ड्रॉअर नज़र आते ही,

अलमारी अचानक भारी सी लगे।


सबसे नीचे है एक बड़ा सा खाना,

भरा हुआ जिसमें पुरानी यादों का खज़ाना।


भर गए है सारे खानें अब,

हैंगर भी कोई रहा ना खाली।


बड़ी जगह थी दिल की अलमारी में,

ढेर सारे खाने और हैंगर भी साथ में।



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