अखबार
अखबार
सुबह सुबह उठकर सोचती हूँ
रोज़ बस नहीं अब बस नहीं
आज नहीं पढूंगी सुबह का अख़बार
फिर मेरे अखबार पढ़ने का शौक
रोक नहीं पाता मुझको हर बार
पढ़ना ही पड़ता है ।
रोज़ फिर मुझको सुबह का अखबार।
सुबह सवेरे जब भी खोलो,
हाथ में अखबार बस एक ही तरह के
रोज़ के समाचार।
कभी बढ़ रही देश में महँगाई कहीं बढ़ रही
बेरोजगारी कहीं हुआ है
मर्डर किसी का या फिर कोई
अबला का बलात्कार।
उठते ही आँख खोलते ही
ये सब पढ़कर हो जाती हूँ स्तब्ध और लाचार!
फिर खुलता है दूसरा पृष्ठ भी।
उसमें भी मचा हाहाकार।
उद्योगपति देश को चूना लगाकर भाग गये विदेश
और कहीं फिर बढ़ती महँगाई से
परेशान हम जैसे मिडिल क्लास।
दिन प्रतिदिन युवाओं के जा रहे हैं,
रोजगार जो अब भी बैठे हैं इस आस में
15 लाख कब खाते में आयेंगे उनका तो बस जय जयकार।
पेट्रोल की कीमत आसमान को छू रही है।
मेरे देश की मुद्रा भी अंतरराष्ट्रीय बाजा़र,
में कहीं खो रही है।
चाँदी सोने की बात तो छोड़ दीजिए जनाब
अब तो खाने पर भी बढ़ रहा है टैक्स का भूचाल पे भूचाल।
मैं यह नहीं कहती टैक्स देना बुरी बात है।
यही देश की उन्नति के लिए सबसे बड़ी सौगात है।
पर टैक्स देने के लिए नौकरी भी होना जरूरी है,
जनाब।
बहुत सारी ऐसी खबरें पढ़कर मन का बोझ बढ़ जाता है ।
फिर आता है खेल पृष्ठ थोड़ा सुकून मिल जाता है ।
पर जो देश को दिए गोल्ड मैडल हैं
उनका सम्मान आंकना पैसों में कम पड़ जाता है ।
उनका सम्मान आंकना पैसों में कम पड़ जाता है।
फिर भी मेरे देश की विचित्रता देखे अनेकता में एकता है ।
और धर्म -जाती के नाम पर फिर भी लड़वाया जाता है।
ये सुबह सुबह की खबरें हैं जनाब सोने की चिड़िया जैसा देश मेरा था
और आज समाचार पत्र में हजार समस्याएँ लिए नज़र आता है।
मेरा समाचार पढ़ने का काम खत्म नहीं होगा
इसी उम्मीदों के साथ कभी तो आयेगी खबर
हो रहा है मेरे देश का भी उन्नति और विकास।
कम हो गयी बढ़ती हुई महँगाई और खत्म हो गया
गुंडाराज! इसी उम्मीदों के साथ फिर से मिल गया
बेरोजगारों को रोजगार ! बस रोज़ उठा लेती हूँ
इसी आस के साथ हाथ में अखबार।
कभी तो पढूंगी अच्छे समाचार कभी तो होगा मेरे देश का उद्धार ।
सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को नहीं जायेगी।
जिसकी लाठी उसकी भैंस ना कहलाएगी
चोरों का कभी तो नहीं होगा बोलबाला ।
फिर ना कहलाएगा अँधा कानून देश का हमारा ।
जब मिल जायेगी मुजरिमों को सजा़ ।
वो सुबह कभी तो आयेगी वो सुबह कभी तो आयेगी ।
बस अख़बार होगा खुशियों से भरा। बस खुशियों से भरा।