खोने न दिया।
खोने न दिया।


वो मासूमियत छुपा रखी है उसने दिल के कहीं किसी कोने में
वरना दुनिया बना देती, कब से उसे संग दिल
वो मासूमियत को वक्त लगता नहीं कभी खोने में।
वो काली स्याही की तरह रात का, अँधेरा था कभी
उसकी चेहरे की तबस्सुम ने उस रोशनी को खोने ना दिया,
संगदिली तंग कर देती है लोगों की कभी पर
उसकी जिंदादिली ने उसे कभी मरने न दिया।
वो जीती रही अपनी उम्मीदों के सहारे जीकर।
उसके रुखसार पे उदासी का तमाशा न देखा।
वो खुशियों की सौगातें मयस्सर थी ही नहीं उसको
पर, दिल की गहराईयो के समंदर ने उसे डुबोने न दिया।
मर जाती वो तो कब की जीते जी लेकिन।
उसके ख्वाबो के हँसी तसव्वुर ने ये होने न, दिया।
रंजिशें पाल के मिलती, नहीं, इमान की दौलत
उसकी इबादतो के सिला ने उसे नाखुदा होने न दिया।