इम्तिहान
इम्तिहान
इम्तिहान देते देते सारी उम्र निकल गयी
हम रहे फैसले, के, इंतजार, में,
और यहाँ पूरी जिंदगी निकल गयी।
बड़ा तकलीफ देता है अक्सर
वो जमाने का बदला रंग,
जब कामयाबी हमारे हिस्से में आई
तो लोगों की नज़र बदल गयी।
बेसाख्ता होके हमने भी कह दिया,
बेरुखी ऐसी ही ना बड़ी हमारी भी
हमने ये जब कहा तो
हवाओं की गति बदल गयी।
मयस्सर हो जाती अगर थोड़ी सी खुशी,
हमको तुमसे फिर देखना था तुमको
किस कदर हमारे दिल का वो
खाली विरान सा कोना भी भर जाता।
काँटों की चुभन महसूस करते रहे
हम ताउम्र इस तरह
फूलों की खुशबुओं का दिल से
अहसास मर गया।
जा तू भी तोड़ के जंजीरे इस कैद की
ऊंची उड़ान भर ले
उस एहसास ने ही मेरे आसमाँ की
ऊंचाइयों को कम कर दिया।