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Parmanand Nishad Sachin

Abstract

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Parmanand Nishad Sachin

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कोई किसी का नहीं होता

कोई किसी का नहीं होता

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मतलबी दुनिया मे कोई किसी का नहीं होता,

आज मेरा दिन तो कल तेरा दिन,

रिश्ते खास होते है इस भ्रम में नहीं रहना,

आधे से ज्यादा रिश्ते आस्तीन के सांप होते हैं,


मतलबी दुनिया के सांचे ने हमको यूं ढाला है,

सबसे रिश्ता है लेकिन मदद की उम्मीद नहीं,

यहां तो सागर भी बड़ा मतलबी निकला,

जान लेकर कहता है लाश किनारे लगा दो,


 मतलबी दुनिया से क्या शिकायत करूं,

ये दुनिया तो सिर्फ मतलब से याद करते है,

ये दुनिया ने कड़वी जबान से इतने जख्म दिये

मतलबी दुनिया है और अब मतलबी है हम,


मतलबी दुनिया से अच्छी तो मेरी परछाई है,

मेरे साथ अपनी परछाई शुरू करती है और,

मेरे मौत से अपनी परछाई का दम तोड़ देती है

इस मतलबी दुनिया मे कोई किसी का नहीं,


यहां बरसते बादल का मौसम बदल जाता है,

तो दुनिया के इंसान तो बदल ही जायेगा,

कोई किसी का नहीं आज इस दुनिया में,

सब लोग अपने आप मे खोये हुए है,


मतलबी दुनिया मे कोई किसी का नहीं होता,

आज मेरा दिन तो कल तेरा दिन,

रिश्ते खास होते है इस भ्रम मे नहीं रहना,

आधे से ज्यादा रिश्ते आस्तीन के सांप होते हैं।


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