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Parmanand Nishad Sachin

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Parmanand Nishad Sachin

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नारी का अपमान

नारी का अपमान

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अपमान नहीं करना नारियों का,

उनके बल पर ही संसार चलता है,

नारी से जग चलता है,

नारी बिन अधूरा जग।

नारियों अपमान को ना सहते जाओ,

दुष्टों को दण्ड देती जाओ,

अपने जीवन में अंधकार को मिटाती जाओ और,

अपने जीवन में रोशनी की खुशियां बनाती जाओ।

नारी का अपमान करना किसी के स्वभाव में हो सकता है,

नारी का सम्मान करना हमारे स्वभाव में होना चाहिए,

कर खुलकर विरोध अत्याचारियों का,

भ्रष्टाचारियों को मिटाती जाओ,

इस संसार को सुखों से भरती जाओ,

दिलो में बस जाये तो मोहब्बत है,

कभी दुर्गा तो, कभी काली है।

लुटेरा है अगर आजाद तो सबका अपमान है,

लुटी है नारी तो लुटा सबका सम्मान है,

जो स्त्री का अपमान करता है,

वो मां का अपमान करता है,

जो मां का अपमान करता है,

वो भगवान का अपमान करता है,

जो भगवान का अपमान करता है,

उसका अंत निश्चित है ।


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