चालाकी
चालाकी
मेरे दिल की मायूसी तो,
तेरे पास से गुजरी है।
हम सारी चालाकी से,
वही छोड़ के गुजरे है।
तेरे-मेरे रात मे फर्क इतना है,
तुम सो के गुजरी और मै रो के गुजरा।
बड़ी चालाकी से मिटा दिया,
उसने सारे वो निशान।
गलती से मेरे पास रह गया,
उसके घर का पता।
मेरे नासमझी को उसने,
चालाकी समझ बैठा।
मेरे वो हमसफर हद कर दिया,
तुम भी मुझे दोषी समझ बैठै।
