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Parmanand Nishad Sachin

Romance

4  

Parmanand Nishad Sachin

Romance

नजराना

नजराना

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ना नजर था ना नजराना था,

आपका आना था और हमारा जाना था,


क्या करे इसे किस्मत का खेल कहे,

और कहे इसे गैरो का अफसाना था,


जहां किस्मत हमसे रूठी और वो मान गये,

तब से हमने ईश्वर को जान गये,


इसके पहले हमे ना कोई पहचाना ना 

था नजर था ना नजराना था,


जब तुम यादों के झरोखों मे याद आते थे,

जब हम मिल के वो राग गाते थे,


कहना ना मुझे कभी तेरा दीवाना था,

था नजर था ना नजराना था।


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