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Parmanand Nishad Sachin

Abstract

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Parmanand Nishad Sachin

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यादें

यादें

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जिंदगी किताब है उसके पन्ने लिख गये,

पहले साथ रहते थे अब झगड़ना सीख गये,

ये बचपन यूं याद आते है मेरे दोस्त,

खरीदना चाहते थे हम बचपन देखो खुद ही बिक गये,


बचपन की यादें हमेशा दिल में रहता है,

दोस्ती की टोली यूं महफिल सी सजाती है,

कोई पुकार दे हमें तो गुरू मंत्र लगता था,

बचपन का वो दिन हमारे आंखों से बहता है,


काश वो बचपन फिर से लौट के आ जाता,

काश वो दोस्त फिर घर छोड़ के आ जाता,

घूमते, खाते और मजे से खेल के साथ में आते,

काश वो मंजर फिर जीवन में दोहराता !


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