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Bhavna Thaker

Abstract

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Bhavna Thaker

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साँसों की धुन

साँसों की धुन

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मेरी साँसों से बजती धून की 

मीठी सी झंकार तुम 

तुम्हारी आवाज़ में घूँटी

गहराई का प्रतिसाद मैं 


चाहत की पाक रुबाई का 

कोई अर्थ नहीं वो प्रस्फुटित होती है 

रूह की क्षितिज से

झिलमिलाते एहसासों को पढ़ा है 


एक दूसरे की आँखों ने

आरती सा नाद उभरा था उसी वक्त 

उर के मंदिर में 

लगातार गुनगुनाते रहते हैं हम 


दिन के हर पहर में 

मेरे बेज़ुबान इश्क के नग्में तुम 

तुम्हारी बातूनी चाहत की गिटार मैं 

दुनिया की महफ़िल में सजीला


एक जादुई संसार है मोहब्बत का 

हम दोनों की लगन का 

सदियों तक झिलमिलाता रहेगा

वसुधा के वक्ष पर अमर अजर सा।


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