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Bhavna Thaker

Romance

4  

Bhavna Thaker

Romance

एहसास को स्पर्श का आयाम दें

एहसास को स्पर्श का आयाम दें

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"चलो प्रीत को आगे बढ़ाते अनमोल एहसास को स्पर्श का आयाम दें"


किसी शाम..प्रीत को आगे बढ़ाते 

ताज की गवाही संग

कालिंदी के घाट पर बैठकर, 

रोमांस की रंगत जमाते चलो

एहसास को स्पर्श का आयाम दें।


आगोश की अटारियों में खोकर 

मैं धुँध बन जाऊँ, 

गेसूओं की लहलहाती फ़सलों में 

ढ़लकर तुम खुशबू बन जाना।


युग्मन पर अपने जश्न मनाते 

बहने लगे जब बयार संग 

बाँसुरी की तान सुरीली, 

तुम उठाकर मेरी काया को 

लबों से लगा लेना।


मल्हार गाते मैं डूबने लगूँ 

नशीले नैनों की हाला में, 

और कुछ भी न सोचना तुम

स्पंदन में मेरे घुलकर 

मेघों की भाँति बरस जाना।


हौले-हौले रखना अपनी

चाँदनी सी चाहत मेरी हथेली पर, 

मिलकर बुनेंगे सपनें 

मैं छोर तुम चद्दर पूरी बन जाना।


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