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Bhavna Thaker

Romance

4  

Bhavna Thaker

Romance

कहाँ कुछ ज़्यादा मांगा

कहाँ कुछ ज़्यादा मांगा

1 min
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#ज़्यादा विस्तृत नहीं जहाँ मेरा, 

तुम्हारे हिया की चौखट मेरे वजूद का बसेरा..


पर्वत के शीर्ष से #उद्भव होती सरिता को गवाह रखकर,

तुम्हें फूल देने वाली उस घटना की कसम, 

#मेरी प्रीत का दर्पण तुम्हारी आँखें है।


सहज लो मुझे #ख़्वाबगाह की संदूक में और पलकों का पहरा लगा दो,

सपना बन तुम्हारी #पुतलियों में झिलमिलाते रहना चाहती हूँ। 


#हठात नहीं! समर्पित है हर साँसों का डेरा, बिछ जाना चाहती है धड़क तुम्हारी आरज़ू बन यूँ, #फ़ैल जाता है झील के पाटों पर चाँदनी का नूर ज्यूँ..


#करीब आ अपने एहसासों के हर रंग से तुम्हारी #

हथेलियों पर रंगोली रचूँ.. नखशिख तुम्हारी अदाओं में इठलाती ढ़लना चाहती हूँ।


#उम्मीदों की चरम इतनी सी छुए मेरी ही नज़रें तुम्हें और किसीको छूने न दूँ.. तुम्हारे उर के #भवन पर एकचक्री शासन करते ही मेरी उम्र बीते.


#कहाँ कुछ ज़्यादा मांगा?

नखरों को तुम्हें सौंप इतराते #राजसी ठाट ही तो चाहती हूँ।



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