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Dhirendra Panchal

Abstract

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Dhirendra Panchal

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संगम का छात्र जीवन

संगम का छात्र जीवन

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हे मृत्युंजय हे दुःखभंजन, कष्ट निवारो आय

ये तो मोदी की सरकार हमसे बनवाएगी चाय


छोटे से कमरे में जीवन डिब्बा समझ बिताते

सबसे सस्ती सब्जी लाकर खूब सिटी बजवाते

विनती करता कुकर अब तो भइया दो नहलाय

ये तो मोदी की सरकार।


गैस सिलिण्डर ताने देता हमको मुँह चिढ़ाता

खाली हो जब बटुआ अपना एलपीजी मुस्काता

बेलन चौके कहते दो अपना भी मिलन कराय

ये तो मोदी की सरकार।


कुकर की तहरी से अपना वर्षों का है नाता

उल्लू बन रातों को जगते नींद भोर का भाता

सारी दुनिया जब सोती हम मच्छर रहे भगाय

ये तो मोदी की सरकार।


आँखों में अपने भी देखो सिमटा एक समन्दर

सिंहासन का शोषण सहता रण में एक धुरन्धर

अब उम्र किरायेदारी वाली हम तो रहे बिताय

ये तो मोदी की सरकार।


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