श्वास पर संवेदना का भार अंकित कर रहे हो
श्वास पर संवेदना का भार अंकित कर रहे हो
पत्र देकर हे प्रिये तुम क्यों सशंकित कर रहे हो?
श्वास पर संवेदना का भार अंकित कर रहे हो
लेखनी पहचानती हूँ
अक्षरों में बोध तेरा
बस यही बाकी बचा है
देखना प्रतिशोध तेरा
मेरी इन किलकारियों को क्यों प्रभंजित कर रहे हो?
श्वास पर संवेदना का भार अंकित कर रहे हो
क्या किसी की हो सकूंगी
क्यों दिया जीवन ये ज्यादा
दोनों ने प्रण तोड़ डाले
कृष्ण की कब थी ही राधा
राधिका को तुम हे केशव क्यों कलंकित कर रहे हो?
श्वास पर संवेदना का भार अंकित कर रहे हो
द्युत क्रीड़ा में अलग ही
लालसा प्रतिशोध की है
लिख रहे हो प्रेम पीड़ा
या कोई क्रम क्रोध की है
तोड़ दो तुम नेह सारे क्यों आवेशित कर रहे हो?
श्वास पर संवेदना का भार अंकित कर रहे हो
~ धीरेन्द्र पांचाल

