बतावा का करबा तिरशूल
बतावा का करबा तिरशूल
हे शंकर हे अविनाशी हम तोहके जानिला
कस करबा बिसवास ए बाबा तोहके मानिला
तोहीं देखावा रस्ता कइसे,समय होई अनुकूल
बतावा का करबा तिरशूल ।
ए बाबा का करबा तिरशूल ।
गरवा में ह सांप कपारे बइठल गंगा माई ।
हाथ में डमरू जटा पे चंदा कइसे बीन बजाईं ।
तीन आँख हव तब्बो कइसे,गइला हमके भूल ।
बतावा का करबा तिरशूल ।
ए बाबा का करबा तिरशूल ।
आगजनी मनमानी देखा दंगा होत अनकूत ।
तोहरे पजरे समय ना ह त भेज दा आपन भूत ।
तू त हउआ हिमगिरी पर,ठण्डा ठण्डा कूल ।
बतावा का करबा तिरशूल ।
ए बाबा का करबा तिरशूल ।
जंगल काट के आर्टिफीसियल पेड़ लगत हव ।
घरे घरे अब तुलसी नाही रेड़ लगत हव ।
खुश हो जाला तू त खाली,देख धतूरा फूल ।
बतावा का करबा तिरशूल ।
ए बाबा का करबा तिरशूल ।
नन्दी केतने मर गइलें गौशाला में ।
परधान बीडीओ रोज मिले मधुशाला में ।
अब का जोहत हउआ बाबा,तोड़ा आपन रूल ।
बतावा का करबा तिरशूल ।
ए बाबा का करबा तिरशूल ।
सबही बाचे मानस, गावे गीता क गुणगान ।
इनके आगे फेल देखालें चम्बल के शैतान ।
अस्पताल में मेहरारून क गिरवी ह कनफूल ।
बतावा का करबा तिरशूल ।
ए बाबा का करबा तिरशूल ।
✍🏻 धीरेन्द्र पांचाल
